Sunday 27 November 2016

A letter to swar by music 14

Dear SWAR,
कल्पना, तुमने भी काफी सुना होगा इसके बारे में। हाँ, वहीं कल्पना जो उस परमात्मा ने करके ही यह संसार बनाया था। इस संसार में जीव जंतु, पक्षी, नर, सूरज, चाँद, तारे, धरती, समंदर, झील, नदी, नालें, जंगल सब उसकी कल्पना का ही साकार रूप है। और इन सबकी अपनी अलग अलग पहचान है, रूप है, रंग है, कला है यह सब भी उसकी अपनी कल्पना का काम है......
और इस काल्पनिक सत्यता के बीच उसने जब तुम्हें बनाने की कल्पना की तो उस समय उसे शायद चाँद की याद तस्वीर दिमाग में थी, और तुम्हारा चेहरा जो उसने चाँद सा ही बना दिया तो
और जब उसने तुम्हें चाँद सा बना ही दिया तो मेरी कल्पनाओं का भी अपना स्थान बनता है ना!! और तुम्हारे चेहरे पे चमकती हुई बिंदी जैसे कि चाँद का पास में शुक्र ग्रह चमका रहा हो, बस जी करता है कि तुम्हें इस रूप में युँ ही देखता रहुँ.......
और सुनो!! जब वो बादलों की कल्पना करके तुम्हारे केशों का घने काले और बहुत लंबे (हाँ!!! दुसरे भी कहते है यह तो मुझसे) बना सकता है, तो क्यों न मैं मेरी कल्पनाओं का गजरा इनमें लगाऊँ, जब तुम प्रेम की बारिश करो अपनी जुल्फों से तो, मैं भीनी भीनी खुशबु में खो जाऊँ, कि हर पल हर जगह सिर्फ यहीं खुशबु आती रहे।।
और सुनो पार्टनर!!!
जब गुलाब की टहनियों की कल्पना को अपने दिमाग में लाकर उसने तुम्हारे हाथों को बनाया तो क्या कहना, जब तुम इनसे छुती हो तो शरीर में अजीब सी सिरहन पैदा होती है...... आओ मैं इन हाथों में हीना की खुशबु भर दुँ, आओ तुम्हारे इन गुलाब से मुलायम हाथों को मेहंदी से सजा दुँ...
और देखो.....
उसकी कल्पना ने तुम्हारे अंदर नदी से चंचलता भी भर दी, जब तुम राह में चलती हो तो लगता है कि नदी बलखाती हुई अपने गंत्वय की ओर जा रही है। जब मैं तुम्हें ऐसे देखता हुँ तो मेरा हाल न पुछो क्या होता है!!
बस देखता हुँ रहता हुँ.......
और देखो!!!
वो पंछियों का कलरव सुन रही हो ना, यह भी कितना लाजवाब है ना, मगर यह क्या?
ये तो पंछी नहीं है तुम्हारे पैरों में बंधें पाजेब की धुन है, अच्छा तो तुम नृत्य भी अच्छा कर लेती हो.. वो भी मोरनी जैसा... हाँ याद आया तुम्हारी आवाज भी तो......

खैर.....

यह सुनो अब......

तुमने समंदर सी जो खामोशी अख्तियार कर रखी है ना, वो मुझे थोड़ी कम पसंद है, तुम देखना मेरी कल्पनाओं का ज्वार भाटा तुम्हारे अंदर कैसी हलचल पैदा कर देगा, तुम्हारे मन के समंदर में सुनामी सी आ जायेगी, जिसे तुम काबु नहीं कर पाओगी..

With love yours
Music

©®जाँगीड़ करन kk

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