Suno,
देखो
यह रात
गहरी हुई जाती है,
तारे
कुछ तेज
चमकते से
दिखते हैं,
दूर कहीं
कोई
शहनाई बज रही
मन में
कोई
तरंग हिलौरे ले
रही,
और फिर
देखो ना,
आँखें
अब भी
एक टक
झाँक रही
आसमान की ओर,
किसी तारे की
मुस्कान के लिये,
देखो
जरा तुम भी
क्या तारा अभी
खिलखिला,
हां,
तो तुम्हें
अहसास होगा ना,
जिंदगी भी
इसी इसी
मुस्कान की
खातिर
कुछ ख्वाब बुनती है,
हां,
पुरे हुए तो
मुस्कान,
न हुए तो
उम्मीद
पर दुनिया
कायम है......
कहो नाम
साथ साथ
हां,
हम अब भी
अहसास के
बंधन
से
बंधे हैं.......
©® जाँगीड़ करन kk
16_04_2017__21:40PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Sunday 16 April 2017
Alone boy 17
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Alone boy 31
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