आज कुछ रंगत
चेहरे की
उड़ी हुई लगती है,
साँस में
भी कुछ
बदहवासी सी लगती है,
कल कोई
ख्वाब बुना था,
आज आँख
सूनी सूनी
सी लगती है,
परेशान
इश्क की
परेशान दास्तां है,
हवाएं भी उसे
सहमी सी लगती है,
कोई रो रहा या
खामोश है युहीं,
हर बात उसे
कुछ बदली बदली
सी लगती है,
किसी की पुकार
पर वो
ऊठ बैठा है,
हर आहट
उसे आगमन सी लगती है,
मालुम उसे
वक्त के हर
दांव है मगर,
जिंदगी फिर
उसको अलमस्त सी लगती है।
©® जाँगीड़ करन kk
28_04_2017__20:00PM
और मैं, मेरी चिंता न कर मैं तो कर्ण हुँ हारकर भी अमर होना जानता हुँ
Friday 28 April 2017
Alone boy 21
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Alone boy 31
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