Monday 3 April 2017

Alone boy 13

पर ये तारे,
हां,
देखो तो,
ऊपर आसमान में
उन दो
तारों को
अपनी जगह से
जरा सा भी नहीं हिल रहे
वो दोनों,
कुछ समझ आया,
हां,
दोनों
की नियति में
एक दुसरे से
मिलन शायद
नहीं लिखा है,
मगर दोनों कहीं
दूर भी
नहीं
जाना चाहते,
जानें क्या है
दोनों के मन में,
शायद
उन्हें अब भी
उम्मीद है
कभी वक्त उनके
ख्वाबों को
समझेगा,
पास आने की
कोई राह
मिल
सकती है कभी
न कभी......
आसमान सो
रहा है,
मगर ये दो
तारे
रातभर
जानें क्यों
जागते रहते हैं।
©® जाँगीड़ करन kk
03/04/2017__19:50PM

1 comment:

Alone boy 31

मैं अंधेरे की नियति मुझे चांद से नफरत है...... मैं आसमां नहीं देखता अब रोज रोज, यहां तक कि मैं तो चांदनी रात देख बंद कमरे में दुबक जाता हूं,...